वो सुबह से
कचरे के
ढेर खोद
रहा था,
टूटी हुई
खिड़कियों से
घरो में
घुसपैठ कर
रहा था
पर उसे
निन्ना के
लिए कोई
तोहफा ना
समझ आया
I
बड़ी सी तोफहे
की दुकान भी
होती तो
भी उसे
ना समझ
आता कि क्या
तोहफा लिया
जाये I 'ये
परेशानी से
तो दुनिया
का हर
शौहर रूबरू
है', खुद
से बतियाता
रहा और
पीछे देखते-देखते
आगे बढ़ता
रहा I
सुबह के 5 बजे
थे और
कल रात
वो निन्ना
को जन्मदिन
कि मुबारकबाद देना
भूल गया
था I 4 बजे
भूक से
उसकी नींद
टूटी तब
रोटी ढूँढ़ते-ढूँढ़ते
उसके दिमाग
की बत्ती
जली I रोटी
की तलाश
छोड़, वो
अँधेरे के
लिए अल्लाह
को शुक्रिया
अदा करते
हुए घर
से निकल
पड़ा I
पिछली बार कितने
धूमधाम से
उसका जन्मदिन
मनाया था
I बेकरी से
बढ़िया बड़ा
वाला केक
भी आया
था I पिछले
महीने ही
मनवाल ने
उसे गली
के तार
पे तार
डाल कर
कनेक्शन लेना
सिखाया था,
'कितना भला
आदमी है'
I हालाँकि निन्ना
कुछ ज्यादा
ही तारीफ
करती है
उसकी I
वो जानबूझ कर निन्ना से लड़ाई करता, फिर उसे मनाता I इस खेल में उसे बड़ा मज़ा आता था I अब तो खेलने को एक नया सदस्य भी आ रहा था I जब भी निन्ना
का नाम
उसके दिमाग
में आता,
वो आस-पास कि सुध
भूल के
उसके खयालो
में चलता
I आज भी
यही हुआ
I पिछले कुछ
दिन वो
सतर्क रहा
I टी. वी. की
खबरे घर
के बाहर ही
घटने लगी
थी I हवा
में प्लेन
उड़ने लगे
थे, जिनकी
आवाज़ निन्ना
को ज़रा
भी पसंद
ना थी
I
निन्ना को
कौवे पसंद
ना थे
I वो घर
की दीवाल
पे बैठ
पाते इस
से पहले
उस्मान पत्थर
तैयार कर देता
I पर प्लेन
कौवे ना
थे I इस
बेबसी ने
उसे सतर्क
रहना सिखा
दिया था
I
उधर निन्ना की
नींद खुल
चुकी थी
I उसने आँखें
खोली ही थी और
पटाखे सी
आवाज़ से
उसके कान
बंद हो
गए I धमाका सुन
उस्मान का
प्यारा दोस्त
और गली
का आवारा,
इत्र, वहा
आया पर
भौकने के
अलावा वो
कुछ कर
ना सका I
वो निन्ना
को देखता
रहा और
पूछता रहा,
‘उस्मान कहा
है?’
पर निन्ना क्या बताती I उसके पैर
में काँच के टुकड़े धसे हुए थे पर उस्मान
को ना
पाकर उसकी
आँखें खुश थी I ‘मेरे लिए
आँसू मत बहाओ इत्र I उस्मान से
कहना, मुझे मेरा तोहफा मिल गया I’
0 comments:
Post a Comment