Wednesday 4 July 2018

जन्मदिन का तोहफा

वो सुबह से कचरे के ढेर खोद रहा था, टूटी हुई खिड़कियों से घरो में घुसपैठ कर रहा था पर उसे निन्ना के लिए कोई तोहफा ना समझ आया I

बड़ी सी तोफहे की दुकान भी होती तो भी उसे ना समझ आता कि क्या तोहफा लिया जाये I 'ये परेशानी से तो दुनिया का हर शौहर रूबरू है', खुद से बतियाता रहा और पीछे देखते-देखते आगे बढ़ता रहा I

सुबह के 5 बजे थे और कल रात वो निन्ना को जन्मदिन कि मुबारकबाद देना भूल गया था I 4 बजे भूक से उसकी नींद टूटी तब रोटी ढूँढ़ते-ढूँढ़ते उसके दिमाग की बत्ती जली I रोटी की तलाश छोड़, वो अँधेरे के लिए अल्लाह को शुक्रिया अदा करते हुए घर से निकल पड़ा I

पिछली बार कितने धूमधाम से उसका जन्मदिन मनाया था I बेकरी से बढ़िया बड़ा वाला केक भी आया था I पिछले महीने ही मनवाल ने उसे गली के तार पे तार डाल कर कनेक्शन लेना सिखाया था, 'कितना भला आदमी है' I हालाँकि निन्ना कुछ ज्यादा ही तारीफ करती है उसकी I

वो जानबूझ कर निन्ना से लड़ाई करता, फिर उसे मनाता I इस खेल में उसे बड़ा मज़ा आता था I अब तो खेलने को एक नया सदस्य भी आ रहा था I जब भी निन्ना का नाम उसके दिमाग में आता, वो आस-पास कि सुध भूल के उसके खयालो में चलता I आज भी यही हुआ I पिछले कुछ दिन वो सतर्क रहा I टी. वी. की खबरे घर के बाहर ही घटने लगी थी I हवा में प्लेन उड़ने लगे थे, जिनकी आवाज़ निन्ना को ज़रा भी पसंद ना थी I

निन्ना को कौवे पसंद ना थे I वो घर की दीवाल पे बैठ पाते इस से पहले उस्मान पत्थर तैयार कर देता I पर प्लेन कौवे ना थे I इस बेबसी ने उसे सतर्क रहना सिखा दिया था I

उधर निन्ना की नींद खुल चुकी थी I उसने आँखें खोली ही थी और पटाखे सी आवाज़ से उसके कान बंद हो गए I धमाका सुन उस्मान का प्यारा दोस्त और गली का आवारा, इत्र, वहा आया पर भौकने के अलावा वो कुछ कर ना सका I वो निन्ना को देखता रहा और पूछता रहा, ‘उस्मान कहा है?’

पर निन्ना क्या बताती I उसके पैर में काँच के टुकड़े धसे हुए थे पर उस्मान को ना पाकर उसकी आँखें खुश थी I ‘मेरे लिए आँसू मत बहाओ इत्र I उस्मान से कहना, मुझे मेरा तोहफा मिल गया I’